Shareer Me Aatma Kaha Hoti Hai | TalkInHindi

MehakAggarwal | July 11, 2021 | 0 | Article

आत्मा के बारे में हम सभी बचपन से ही सुनते आ रहे है.  मगर हममे से किसी ने भी आज तक आत्मा नहीं देखी.  यह जानने की उत्सुकता भी हम सभी में हमेशा से ही बनी रही है कि आखिकार आत्मा हमारे शरीर में कहा रहती है?  हम सब आत्मा को छूना, देखना व महसूस करना चाहते है.  आज इस लेख जम यह जानेंगे कि आखिरकार आत्मा शरीर में कहा रहती है?

शरीर में आत्मा का स्थान कहाँ है?

 आत्मा का स्थान मानव मस्तिष्क में है। इस लेख को आखिर तक पढने आप को पता लग जाएगा कि आत्मा मस्तिष्क में भी किस स्थान पर निवास करती है?

 मस्तिष्क के विभिन्न भाग और पूरे शरीर की कोशिकाएँ मन की तरंगों द्वारा नियंत्रित होती हैं।

      यानी मन की अच्छी और बुरी स्थिति का प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है और शरीर पर आने वाले सभी सुख-दुख का प्रभाव मन को ही महसूस होता है।

       मन और बुद्धि एक दूसरे पर आश्रित हैं। इसलिए मन और बुद्धि के बारे में गहराई से समझना जरूरी है। अगर हम उन्हें ठीक कर दें तो बाकी सब अपने आप ठीक हो जाता है।

विचार कितने प्रकार के होते है?

चेतन मन में चार प्रकार के विचार चलते हैं।

1) सकारात्मक

2) आवश्यक

3) अवांछित

4) नकारात्मक

मन कितने प्रकार का होता है?

 मन के भी 3 भाग होते हैं।

चेतन मन

अवचेतन मन

अति अवचेतन मन।

(चेतन मन, अवचेतन मन और सुपर चेतन मन) यह सुषुम्ना नाड़ी से जुड़ा है)

. अवचेतन मन वह मन है जो हमारे शरीर की कुछ गतिविधियों को हर समय देखता रहता है और उन्हें नियंत्रित करता है। जैसे श्वास की गति, हृदय की गति, रक्त की गति, नाड़ी की गति। नींद और बेहोशी में भी यह मन इन गतिविधियों को अपने आप नियंत्रित कर लेता है। यह हमारे नियंत्रण से बाहर है। यह मन बहुत शक्तिशाली है। इसकी शक्ति 90% है।

       अवचेतन मन वह मन है जहां हर जन्म की जानकारी और क्रिया निहित होती है। यह सागर की तरह है। इसकी शक्ति अनंत है। इसलिए हमें चेतन मन के बारे में गहराई से समझना होगा!

   . मस्तक के बीच जिस स्थान पर आत्मा निवास करती है उसे आज्ञा चक्र कहते हैं।

       आज्ञा चक्र के ऊपर हाइपोथैलेमस से निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें। इन किरणों की शक्ति लेसर तरंगों से अधिक शक्तिशाली होती है। यह हमारे मन के शुद्ध विचारों से उत्पन्न होता है। ये तरंगें स्थूल बाधाओं और बाधाओं को भी पार करती हैं।

        यहां से निकलने वाली लहरों से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

        वे किरणें आकाश तत्व के द्वारा दूर-दूर तक पहुँचती हैं। जो कुछ दूर हो रहा है वह आपके करीब भी देखा जा सकता है।

       राजयोग के ज्ञान से जब बुद्धि अर्थात् तीसरा नेत्र खुल जाता है तो असम्भव भी संभव हो जाता है।

       आत्म-अभिमान अविनाशी है और शरीर नाशवान है।

आत्मा के गुण

      शरीर की वास्तविकता पांच तत्वों से बनी है। आत्मा की वास्तविकता सात गुणों से बनी है।

  1. शांति
  2. शक्ति
  3. प्रेम
  4. आनंद
  5. पवित्रता
  6. सुख
  7. ज्ञान।

          जब आत्मा अपनी वास्तविकता की याद में रहने लगती है – तभी वह जीवन से सुख और शांति का अनुभव कर सकती है।

        राजयोग सीखने के पीछे हमारा महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि हम स्वयं को और ईश्वर को जानें और सच्चे सुख और शांति का जीवन जिएं।

       आज आदमी कहता है, सूखी रोटी तो चलेगी- पर मुझे शांति चाहिए, सुख चाहिए।

         यानी जिस भोजन की शरीर को आवश्यकता होती है, उससे अधिक आत्मा के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।

       यानी कार, बड़े-बड़े महल, 56 भोग खाने में उसे वह सुख नहीं मिलता – जो सुख जीवन में शांति मिलने से मिलता है।

       जब आत्मा अपनी वास्तविकता की याद में रहने लगती है – तभी उसे जीवन से सुख और शांति का अनुभव होता है।

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