Essay On Service, Dedication and Resolve: Present Youth In Hindi | ChildArticle

MehakAggarwal | October 1, 2021 | 0 | Article

सेवा, समर्पण और संकल्प ये तीनो एक साथ चलते है। यदि वर्तमान युवा को अपने जीवन में सफल होना है तो उसे सेवा, समर्पण और संकल्प को साथ लेकर चलना होगा। सेवा के लिए न केवल पूर्ण ध्यान की आवश्यकता होती है बल्कि उसके साथ संकल्प और समर्पण की भावना भी जरुरी होती है। कई बार हम देखते है कि वर्तमान युवा सेवा अर्थात अपने कार्य के लिए प्रतिबद्ध होता है और मेहनत भी करता हैं, परन्तु उसमे समर्पण की भावना नहीं होती।

सेवा को खुद से ऊपर रखने की इच्छा ही समर्पण है। समर्पण का अर्थ होता है कि अपने आप को पूर्ण रूप से न्योछावर कर देना। अर्थात किसी कार्य को करने के बाद कोई फल की इच्छा न होना। जब हम कोई भी कार्य करते है तो हमें उसके बदले में पारिश्रमिक, तारीफ़ या प्रोत्साहन चाहिए होता है। परन्तु जब हम सेवा के साथ समर्पण करते है तो सेवा देने के बदले में हमें कुछ नहीं चाहिए होता है। यही सच्ची सेवा होती है।

सेवा के साथ समर्पण की भावना तभी आती है जब सेवा और समर्पण दृढ़ संकल्प से बंधे हो। संकल्प, लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने की क्षमता, मित्रता और मदद, विविध रुचियां, मजबूत कार्य नैतिकता, आत्मविश्वास और नेतृत्व, और स्वयं की एक मजबूत भावना है। शुद्ध संकल्प एक महान शक्ति है। संकल्प समर्पण या सेवा से भी बढ़कर है। संकल्प कुछ करने या देने के वादे से अधिक है। शुद्ध संकल्प से मन में शुद्ध विचार आते है। शुद्ध विचार से मन और हृदय असाधारण रूप से प्रभावित होते हैं। शुद्ध विचार से मन ध्यान की गहराइयों में उतर जाता है। इससे असाधारण शारीरिक और मानसिक दक्षता प्राप्त होती है।

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