BBC Gandhi Documentary Review

MehakAggarwal | September 18, 2021 | 0 | Article

ये डाक्यूमेंट्री गाँधी जी पर आधारित है.  डाक्यूमेंट्री का मुख्य विषय है कि क्या लोकतंत्र सभी के लिए सही या उचित है? गाँधी जी के आदर्शो और जीवन मूल्यों के बारे में बात की गयी है कि क्या वे सभी आज भी लोगो द्वारा अपनाये जा रहे है? गाँधी जी के समय के गुजरात की तुलना मोदी के समय के गुजरात से की गयी है. समय के साथ क्या बदलाव आया है और कितना? डाक्यूमेंट्री को चित्रित बहुत ही अच्छे  तरीके से किया गया है. गाँधी जी के विचारो को दिखाया गया है.  डाक्यूमेंट्री के निर्देशक भी गांधीजी के सभी विचारो से सहमत नहीं है परन्तु गांधीजी के साहस और धैर्य के हमेशा प्रशंसक रहे है.

गुजरात में हुए दंगो का प्रभाव दिखाने की कोशिश की गयी है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से गुजरात में हुए दंगो का प्रभाव लोगो पर पड़ा. डाक्यूमेंट्री की शुरुआत में इसमें दिखाया गया है कि दंगो का प्रभाव केवल और केवल मुसलमानों पर पड़ा है. हिन्दुओ की तरफ से केवल यही दिखाया गया है कि ये दंगे जो हुए वो सही हुए और ये होना चाहिए था.  मगर जब भी दंगे होते है तो यह तो हो ही नहीं सकता कि केवल एक समूह ही प्रभावित हुआ हो.  डाक्यूमेंट्री के आखिर में थोड़ा सा दिखाया गया कि हिन्दू भी डरे हुए थे मगर उनपर कोई हमला नहीं हुआ और दंगो के समय में मुसलमानों ने हिन्दुओ का साथ ही दिया है.  गांधीजी जो हमेशा से हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्ष में थे वही उन्ही कि जन्मभूमि पर हिन्दू मुस्लिम आपस में एक दुसरे से नफरत करते है.

आज गुजरात में कोई भी गाँधी जी के आदर्शो और मूल्यों का अनुसरण नहीं कर रहा है. केवल एक दलित नेता है जो कि गाँधी जी के आदर्शो पर चल रहा है. जिस तरह से गाँव में एक दलित नेता को सीवर साफ़ करते हुए दिखाया गया और समाज के लिए जो कुछ भी वह करना चाहता है उसे देखकर लगता है कि आज भी लोग गांधीजी के आदर्शो पर चल रहे है.

आज भी मंदिर में दलित को प्रवेश नहीं है. ऐसा देखकर दुःख होता है. जहाँ गांधीजी दलित को बराबरी का हक दिलाना चाहते थे वहां आज भी ऐसे हालत है. ऐसा केवल गुजरात या मोदी के राज में ही नहीं है यह तो भारत के गाँवों की सच्चाई है जो कि समय के साथ बदल रही है.

डाक्यूमेंट्री में फिल्मांकन और निर्देशन बहुत ही बढ़िया है. गुजरात की सही तस्वीर पेश करने की कोशिश की गयी है.  स्क्रीप्ट पर भी मजबूत पकड़ है.  किसी भी स्थान पर ऐसा नहीं लगता निर्देशक मोदी के गुजरात मॉडल से या गाँधीजी से भटक रहे है. गाँधी जी के स्टेचू जब दिखाए गए तो ऐसा लगा कि गुजरात की एक सही व सच्ची तस्वीर पेश की जा रही है. गाँधी जी कभी चाहते भी नहीं थे कि उन्हें भगवान माना जाए. जैसा कि इसमें दिखाया गया कि कई लोग आज भी गाँधी जी के आदर्शो पर चल रहे है.  परन्तु उस समय जब वाहन चालक कहता है कि आज कोई भी थप्पड़ नहीं खाएगा और कोई किसी के लिए नहीं सोचता तो यह समाज की तस्वीर पेश करता है. यह जरुर कहा जा सकता है कि गाँधी जी ने लोगो को अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए लोगो को प्रेरित किया था. यदि आप चाहते है कि आज के समय में भी लोग अहिंसा के मार्ग पर चले और प्रगति करे तो तो हमें गाँधी जी आदर्शो की नहीं, गांधी जी जैसे किसी व्यक्तित्व की आवश्यकता है, जो लोगो को प्रेरित कर सके.

गांधीजी के विचारों और उनकी सोच को जहाँ एक तरफ लोग भूलते जा रहे है और कुछ लोगो को तो आज के समय में उनके विचारों का कोई महत्व ही नहीं दिखता है वही दूसरी तरफ आज भी ऐसे कई लोग है जो कि उनके दिखाए हुए रास्ते पर चल रहे है और वे लोग गांधीजी पर, उनकी सोच पर, उनके विचारो पर और उनके दिखाए गए रास्ते पर गर्व भी महसूस करते है. गांधीजी के आदर्शो और जीवन मूल्यों को अपने जीवन में अपना भी रहे है.  गांधीजी ने जहाँ हमारे समाज का सफल नेतृत्व किया वही आने वाली पीढ़ियों को एक रास्ता भी दिखाया जिसपर चलकर कुछ भी पाया जा सकता है

गुजरात को आधुनिक बनाने का जो प्रयास मोदी जी ने किया वो वाकई प्रशंसनीय है. मगर जो लोगो के बारे में सोचे बिना किया गया, लोगो को केवल दुसरे स्थान पर प्रतिस्थापित कर देना ही काफी नहीं होता. सरकार का ही फ़र्ज़ बनता है कि प्रतिस्थापित करने के बाद उनके जीवन यापन के लिए रोजगार भी उपलब्ध करवाया जाए. हमारे समाज की दयनीय व सच्ची तस्वीर पेश के गयी है. इस तरह की डाक्यूमेंट्री बनते रहना चाहिए. इसे थोडा विस्तार से दिखाने कि आवश्यकता है. कुछ ऐसी भी चीज़े है जिनके केवल एक पहलु को दिखाया गया है.  सिक्के के दोनों पहलु दिखाना आवश्यक है.

जहाँ तक गुजरात में आधुनिकता को दिखाया गया है और नया विकास कैसे लोगो के जीवन को प्रभावित कर रहा है, वह सभी कुछ बहुत ही बढ़िया तरीके से दिखाया गया है. विकास होने पर लोगो के सामने किस प्रकार की चुनौतियां आती है उससे उनका जीवन कैसे प्रभावित होता है, यह बहुत ही बढ़िया तरीके से दिखाया गया है. कुछ लोगो को जहाँ विकास आगे बढ़ने का मौका देता है वही दूसरी तरफ कुछ लोगो के लिए विकास होने पर जीवन यापन करना भी मुश्किल हो जाता है. निर्देशक अपने प्रयास में पूर्णत: सफल रहे है.

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